मेरी रचना मेरे पिता जी के कर-कमलो में पुष्प की भांति समर्पित :-
मैं ये कहूं कि माँ से बेहतर परवरिश पिता कर सकता है, तो ये गलत नहीं होगा, मेरे पिता जी ने मुझे कभी माँ की कमी का एहसास नहीं होने दिया, एक माँ से बेहतर परवरिश दी, मेरी हर कमी का ध्यान रखा,
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“मैं रोयी तो, मेरे साथ आप भी रोये,
मैं हँसी तो, आप भी मुस्कुराए,
अंधेरो से जब मुझको, लगता था डर,
तब बहादुरी के किस्से, आपने सुनाये”
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ऐसा नहीं है कि माँ अपने बच्चे से प्यार नहीं करती, करती है मगर माँ का प्यार मीठे ज़हर की तरह होता है, स्वाद में अच्छा और परिणाम में घातक | माँ अपने बच्चो की गलतियों को सुनहरी चादर से ढक, एक और अवसर देती है गलती करने का, ममता में अंधी हो कर कभी कभी पक्षपात तक कर जाती है, इसके विपरीत पिता का प्यार बिलुकल नारियल की तरह होता है, बाहर से कुछ और अन्दर से कुछ, पिता की मार-फटकार में भले ही नारियल के बाहरी भाग का अनुभव हो, मगर उस मार-फटकार का परिणाम हमेशा नारियल के अंदर के भाग जैसा होता है, जिसे हम कभी समझ नहीं पाते,,,,
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मैं भगवान का शुक्रिया अदा करती हूँ कि मुझे ऐसे पिता दिये कि मैं गर्व से कह सकू, मेरे पिता दुनिया के सबसे अच्छे पिता है |
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